इ न बीस सालों में वह अपनी बेटी से नहीं मिला था | वह नहीं चाहता था कि उसकी बेटी को पता चले कि उसका पिता कौन है | अपनी सारी हैवानियत को आज ताक पर रखकर वह अपनी बेटी को एक नजर देखना चाहता था | वह उसको क्या बताएगा कि वह कौन है, एकबारगी आंसुओं ने उसकी आँखों में घर बना लिया था | लेकिन वह कभी कमजोर नहीं पड़ा है, तो आज क्यूँ ? एक नादान लड़की जो महज पच्चीस बरस की होगी, भला उसकी बिसात क्या है ? क्या पूछ लेगी वह ? दुनिया की उसे समझ ही कितनी है ? और दिल ही दिल में वह इस बात की उम्मीद करता रहा कि वह वाकई में वैसा ही हो जैसा वो नहीं है | सलीन, कितना प्यारा नाम है, उसने सोचा | ऐसा नहीं है कि वह अपनी ही बेटी का नाम नहीं जानता था | बल्कि यह नाम उसे उसने ही दिया था, सलीन | लेकिन कभी इस बारे में उसने नहीं सोचा कि वह नाम इस कदर खूबसूरत हो सकता है | चीजें अपने आप में कितनी मिठास भरी हो सकती हैं, है न ? कोलोन डालते हुए उसने खुद को शीशे में देखा, वह पच्चीस का लग रहा था | उसे लग रहा था कि वह अपनी ही बेटी से छोटा हो गया है | दुनिया को अपने इशारों पर नचाने की कोशिश करने में उसने उम्र का एक बेहद जरुरी हिस्स...