सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

मोक्ष


न बीस सालों में वह अपनी बेटी से नहीं मिला था | वह नहीं चाहता था कि उसकी बेटी को पता चले कि उसका पिता कौन है | अपनी सारी हैवानियत को आज ताक पर रखकर वह अपनी बेटी को एक नजर देखना चाहता था | वह उसको क्या बताएगा कि वह कौन है, एकबारगी आंसुओं ने उसकी आँखों में घर बना लिया था | लेकिन वह कभी कमजोर नहीं पड़ा है, तो आज क्यूँ ? एक नादान लड़की जो महज पच्चीस बरस की होगी, भला उसकी बिसात क्या है ? क्या पूछ लेगी वह ? दुनिया की उसे समझ ही कितनी है ? और दिल ही दिल में वह इस बात की उम्मीद करता रहा कि वह वाकई में वैसा ही हो जैसा वो नहीं है | सलीन, कितना प्यारा नाम है, उसने सोचा | ऐसा नहीं है कि वह अपनी ही बेटी का नाम नहीं जानता था | बल्कि यह नाम उसे उसने ही दिया था, सलीन | लेकिन कभी इस बारे में उसने नहीं सोचा कि वह नाम इस कदर खूबसूरत हो सकता है | चीजें अपने आप में कितनी मिठास भरी हो सकती हैं, है न ? कोलोन डालते हुए उसने खुद को शीशे में देखा, वह पच्चीस का लग रहा था | उसे लग रहा था कि वह अपनी ही बेटी से छोटा हो गया है | दुनिया को अपने इशारों पर नचाने की कोशिश करने में उसने उम्र का एक बेहद जरुरी हिस्सा गँवा दिया था | लेकिन आज वो उसे वापस पा रहा था |

"सलीन, तुम बेहद खूबसूरत हो | तुम अपनी माँ पर गयी हो ? "
"नहीं , पापा पर. माँ कहती थी कि वे बेहद खूबसूरत थे, लड़कियों की तरह | उनके रेशमी बाल थे, और उनकी आँखें बिलकुल आपकी आँखों की तरह थी, गहरी नीली | उनकी कोरों पर हलकी नमी रहती थी , जैसे गहरे समंदर में डोलती कोई छोटी सी नौका |"
"ये सब तुम्हारी माँ ने तुम्हें बताया ?"
"नहीं !" सलीन के चेहरे पर अनिश्चितता के भाव थे |
"फिर ...?"
"पहले मुझे एक आइसक्रीम खानी है |" सलीन ने जिद की |
"नहीं ! पहले तुम मुझे बताओ |" उसने इनकार जरुर किया , लेकिन इनकार के लिए नहीं, वह बस उसकी जिद देखना चाहता था | यह प्यास, एक अधूरी कविता की तरह थी, जो मूर्त रूप लेने से पहले छाई उदासी को और घना करती जाती है | वह चुप रही, उसे दुःख हुआ कि बेवजह उसने उसे नाराज किया | जब सलीन की जिद करने की उम्र थी तब वह उसके आसपास नहीं था |
"आप गंदे हो | मुझे पहले आइसक्रीम चाहिए |"
उसकी आँखों में अब पुरकशिश सुकून था | आइसक्रीम खाने के बाद वे दोनों हाथ थाम कर वैलिस के किनारे घडी भर बैठे |
"तुम इतने बूढ़े हो, तुम्हें मेरे साथ घूमने में शर्म नहीं आती ?" सलीन ने कहा | वह मुस्कुराया, समंदर पर डोलती नाव को आँखों में बसा लेने के लिए |
"मुझे खूबसूरत लड़कियों के साथ घूमना पसंद है | वैसे तुम्हें तो मेरे साथ घूमने में कोई ऐतराज नहीं होना चाहिए, बहुत सारी लड़कियां उम्र में काफी बड़े इंसान के साथ डेट करती हैं |"
"मुझे कोई परेशानी नहीं |" सलीन ने नौका पर खड़े होकर पाल को आगोश में भर लेने जितनी अंगडाई ली | "आप मेरे पिता को जानते थे , है न ?"
"हाँ, लेकिन तुम उनके बारे में कुछ तो जानती ही होगी |"
"उनकी आँखें ... और वे विओलिन भी बहुत अच्छा बजाते थे |"
यह उसका ट्रेडमार्क था | अपने शिकार को फंसाने के लिए वह अक्सर इसका इस्तेमाल करता था, विओलिन बजाने का | तोमसो विताली की एक एक धुन उसके कानों में चीखों के शीशे उडेलती रही |
"और..." वाइन का एक कड़वा घूँट लेते हुए उसने पूछा |
"और बाकी कुछ नहीं |" सलीन के चेहरे पर चन्द्रमा की घटती कलाएं थी |
वक्त बदला, शरद के पूर्ण चन्द्र ने आखिर दस्तक दी |"मुझे लगता है मेरे पिता एक सिपाही थे |" वह भी मुस्कुरा पड़ा | उसने सलीन के गीले होंठों के किनारे को ऊँगली से छुआ, जिस पर वाइन की एक बहकी सी लकीर खिंच आई थी |

"आप मेरे पिता को जानते थे, है न ?" सलीन की चमकदार आँखों में दुनियादारी का लेश भी न था |
"तुम्हें क्यूँ लगता है कि तुम्हारे पिता एक सिपाही थे ?" वह सिर्फ़ पूछने के लिए पूछना चाहता था | सवाल ,सवाल बेहिसाब सवाल उसे पसंद थे | बस सवाल ही बचे रह जायेंगे आखिरी में , जहाँ से चले थे जब सवाल लेके चले थे |
"ऊं ..." सलीन ने कुछ देर सोचने की मुद्रा बनायीं | "ऐसे ही ... उन्हें वर्दी पहने ही देखा है | मैं रातों को सपने में कई बार भाग कर उनके पास गयी हूँ, और उन्होंने मुझे गोद में उठा लिया है | पूरा आसमान मेरी मुट्ठी में भिंचा चला जाता है | तभी अचानक गोलियों का शोर सुनाई देता है , और मेरी नींद टूट जाती है | बचपन में बहुत बार ये सपने देखे थे मैंने , इसलिए अब याद भी हो गए |"
"क्या तुम्हें अब भी ये सपना आता है ?" उसने आँखों को पहाड़ों के पीछे छिपा दिया |
"नहीं, अब ज्यादा नहीं आता | लेकिन कुछ दो तीन महीने पहले देखा था उन्हें |" सलीन की उदासियाँ बिना शीर्षक की कहानियां थी |
"आपको सपने आते हैं ?" सलीन ने उसके हाथों को छुआ |
"नहीं , अब नहीं !" उसने झूठ बोला | सच ये था कि हर रोज , हर वक्त उसे सपने आते थे | लाशें ही लाशें , और उनके बीच वह सोता हुआ , खुद भी एक लाश जैसा |
"क्या तुमने कभी सोचा है कि तुम्हारे पिता कुछ और भी हो सकते हैं ?" उसने आँखों को वापस माथे पर चढा लिया | सलीन की बदली त्योरियों ने जिन्हें वापस जगह पर फिट सा कर दिया |
"नहीं !" सलीन चाँद के धब्बों में भी खूबसूरती ढूँढने लगी | "मेरे पिता एक सैनिक थे | जो अपने देश से प्यार करते थे | उन्होंने इस देश के लिए अपनी जान दे दी थी | माँ के लिए इस बारे में बात करना काफी तकलीफदेह है, इसलिए माँ इस बारे में कुछ नहीं कहती |" बोम्ब के धमाके विओलिन की स्वरलहरियों के साथ एक अजीब तरह का फ्यूज़न करने लगी , उसे सुनने की कोशिश में उसके कानों की दीवारें हिल गयी | फ्रांसेस्को मारियो वेरासिनी के हाथ में एक मिसाइल लौन्चेर था , जिसके हर एक बटन से संगीत निकल रहा था |
"अगर तुम्हें पता चले कि तुम्हारे पिता एक संगीतकार ... ?" बोम्ब के धमाकों के बीच वह अपनी ही आवाज सुनने के कोशिश कर रहा था | सहसा उसे महसूस हुआ कि वह काफी चिल्लाकर बोल रहा है तो वह बीच में ही रुक गया |
"ओह, क्या वाकई ?" सलीन ने काफी नाखुश होने का भाव जतलाया |
"हाँ , और बोम्ब से उसे उतना ही डर लगता है जितना कि तुम्हें छिपकली से लगता है |" सलीन को यह सुनकर खुशी नहीं मिली | वह उसके चेहरे के भाव पढ़ सकता था |

सलीन ने अपने चेहरे को उसकी तरफ मोड़ा तो उसकी आँखों में आंसू थे | "क्या ये सब मेरे पिता ने झेला है ?" उसने पूछा |
"हाँ !" उसकी ठहरी आँखों में पुतलियाँ संतुलन बनने की कोशिश में लगी थीं | "लेकिन फिर भी उन्होंने उफ़ तक नहीं की |" वह खामोश वैलिस को देखता रहा | वैलिस की खामोशी उसकी हड्डियों के अंदर तक जम चुकी थी, "तुम्हारे पिता एक कलाकार थे | एक उम्दा कलाकार |"
"सलीन !" उसने सलीन के बालों को एक और हटाया | सलीन के कंधे उजली चांदनी में उतने ही स्वच्छ और निर्मल दिख रहे थे जितने वो बरसों पहले याद कर सकता था |  खून सने हुए साफ़ कंधे, जैसे सावन की बारिश ने पत्तों पर जमा गर्द को एक ही बौछार से साफ़ कर दिया हो | उसकी नन्ही गर्दन जिस पर एक छोटा बेचारा सा तिल था , उस पर उसने अपनी ऊँगली रखी | आहिस्ता से , जैसे उसे जगाने से डर रहा हो | सलीन की आँखों को चूमकर उसने जब उन्हें देखा तो नन्ही रोशनियाँ अभी भी छटपटा रही थी |
"क्या तुम थोड़ी देर और नहीं ठहर सकते ?" सलीन ने जब उसे सिगार निकालते हुए देखा तो पूछा , अक्सर वह जाते वक्त ही सिगार निकालता था |
"बेशक ठहर सकता हूँ |" वह फिर से बैठ गया | सलीन ने उसके कन्धों पर सर टिका दिया |
"उन्हें बचाया जा सकता था , है न ?"उसने पूछा | उसने कोई जवाब नहीं दिया | जवाब उसे भी मालूम न था | क्या वाकई उसे बचाया जा सकता था ? आज पहली बार इस सवाल का सामना उसने किया था |
"बोम्ब के धमाके में ... कैसे उन्हें , उनके जैसे कलाकार को कोई कैसे ?" सलीन जैसे सोते से बोली |
"तुम उसे दुनिया में सबसे ज्यादा अजीज़ थी सलीन |" जब वह जाने के लिए उठा तो सलीन ने उसे बांहों में भर लिया | उसने दूर होने की कोशिश की लेकिन, उसकी जकड कसती ही जा रही थी | उसने एकदम जैसे फंदे से खुद को आजाद किया |
"क्या तुम कल आओगे ?"
"हां, जरुर ! मैं जरुर आऊंगा " उसने दो कदम आगे बढ़कर कहा , "मेरा इंतज़ार करना , यहीं ! वैलिस के किनारे !"

जब वह घर पहुंचा तो काफी रात हो चुकी थी | कमरे को चारों और से बंद कर के, खिड़कियों और दरवाजों को दोबारा पड़ताल करके उसने महसूस किया | अपने अंतस और बाहर की आवाजों से मुक्ति पाने के लिए उसने टेलिविज़न चला दिया | घर में कोई शोर चलता रहे तो अच्छा है | 'दी व्हाईट चैपल मर्डर मिस्ट्री, टुनाईट एट एलेवेन ... कीप वाचिंग हिस्टरी चैनल'| अपने सारे कपडे उतार कर वह आदमकद आईने के सामने खड़ा हो गया | काफी देर तक वह अपनी आँखों को गौर से देखता रहा | झूठ, एक झूठ उसे मोक्ष दिला सकता है , उसने नहीं सोचा था | यीशु ने जब कहा था कि पतितों के लिए भी मोक्ष है , तब वे झूठ नहीं कह रहे थे | फिर उसने सिगार अपने मुंह से लगा कर लाइटर जला दिया | कमरा एक धमाके से गूँज उठा | उसकी आँखों के समंदर में डोलती कश्ती गश खाती रही, उसे आज सही ठौर मिला, और वह मुस्कुराया |

अगले रोज सलीन अकेली वैलिस के किनारे बैठी रही |

नोट  : दी व्हाईट चैपल मर्डर मिस्ट्री, जैक दी रिपर नाम से मशहूर एक अनजान सीरियल किलर ने १८८८ में कुछ महिलाओं की अविश्वसनीय क्रूरता से हत्या कर दी थी |

टिप्पणियाँ

मन की गहरी पर्तों में दबी प्रश्नोत्तरी, दरकती हुयी शब्दों में धीरे धीरे।
दीपक बाबा ने कहा…
आपकी कहानियाँ सदा मानव मन की नई नई परते उकेरती नज़र आती हैं..
बेनामी ने कहा…
SOONDAR RACHNA.
UDAY TAMHANE. BHOPAL.
dr.mahendrag ने कहा…
DHEEWME DHEEME BADHTI, EK KASAK KO UKERTI,KUREDTI KAHANI

THANKS

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Doors must be answered

"You don't know the first thing." There was someone at the door, wearing cloak, holding something I could not see. "Well, that... because no one told me." I replied casually. This man seemed laughing, but only his jaw stretched ear to ear, and a hollow creaking sound came from his throat. Something glistened inside the cloak, must be his teeth, I reckon. "THAT DOES NOT MEAN YOU DON'T HAVE TO." "I never object, God forbid please keep your voice low, all I want to know is why I am." I, however painful it was to speak, spoke. He looked at me, well don't ask me if I am certain but it seemed, he looked at me. It was bit dark and under the cloak I can't make out if it is my wife or her cat. "I don't have a wife, I remember." I assured myself. "What?" "Nothing." I woke up from my dream sequence. "I want to know what is wrong with me. Why me?" "Oh! That, I do not know mys

मुर्दा

जिंदगी एक अवसाद है | एक मन पर गहरा रखा हुआ दुःख, जो सिर्फ घाव करता जाता है | और जीना , जीना एक नश्तर है , डॉक्टर | ऐसा नहीं है, मेरी तरफ देखो , देखो मेरी तरफ | आँखें बंद मत करना | जीना , जीना है , जैसे मरना मरना | जब तक ये हो रहा है, इसे होने दो | इसे रोको मत | तो आप ऐसा क्यों नहीं समझ लेते कि अभी मौत हो रही है है , इसे भी होने दो | मुझे मत रोको | डॉक्टर , लोग कितने गरीब हैं, भूखे सो जाते हैं , भूखे मर जाते हैं | तुम्हें एक मेरी जान बचाने से क्या मिलेगा ? तुम जानना चाहते हो , मेरे दिल में उन लोगों के लिए कितनी हमदर्दी है ? जरा भी नहीं | मरने वाले को मैं खुद अपने हाथों से मार देना चाहता हूँ | जब कभी सामने सामने किसी को मरता हुआ देखता हूँ , तो बहुत आराम से उसकी मौत देखता हूँ | जैसे परदे पर कोई रूमानी सिनेमा चल रहा हो | मुझे मौत पसंद है , मरने की हद तक | फिर मैं क्यूँ डॉक्टर ! मुझे क्यों बचा रहे हो ? क्यूंकि , मैं खुद को बचा रहा हूँ , अपनी आत्मा का वो हिस्सा बचा रहा हूँ , जिसे मैंने खुद से कई साल पहले अलग कर लिया था | अपने बेटे को बचा रहा हूँ, जिसे मैं बचा नहीं पाया

एक सिंपल सी रात

 (कुछ भी लिखकर उसे डायरी मान लेने में हर्ज ही क्या है , आपका मनोरंजन होने की गारंटी नहीं है , क्योंकि आपसे पैसा नहीं ले रहा ।) आ धी रात तक कंप्यूटर के सामने बैठकर कुछ पढ़ते रहना, पसंदीदा फिल्मों के पसंदीदा दृश्यों को देखकर किसी पात्र जैसा ही हो जाना, अँधेरे में उठकर पानी लेने के लिए जाते वक़्त महसूस करना कि कोई तुम्हारे साथ चल रहा है | फिर आहिस्ता से दबे पाँव खिड़की पर आकर तारों को देखना, अपना धुंधला प्रतिबिम्ब तारों की पृष्ठभूमि में, काँच को अपनी साँसों से आहिस्ता से छूना जैसे कोई अपना बहुत ही क़रीबी तुम्हें एक जन्म के बाद मिला हो | उन लम्हों को याद करना जो तुम्हारे सिवा किसी को पता ही न हो , कभी कभी खुद तुम्हें भी नहीं | रात के उन लम्हों में जब तुम बिलकुल अकेले हो, तुम अपने आप को देख सकते हो | तुम बहुत पहले ही हार चुके हो, अब कोई गुस्सा नहीं, किसी से कोई झगडा नहीं, नाराजगी भी भला क्या हो | मौत कितनी सुखद होती होगी | किसी से कोई पर्दा नहीं, कोई दूरी या नजदीकी नहीं | मैं मरने के बाद मोक्ष नहीं चाहता, पुनर्जन्म भी नहीं, मैं भूत बनना चाहता हूँ | चार साढ़े चार बजते