(मैं जो कुछ लिख रहा हूँ, उसका कोई मतलब नहीं है | इन फैक्ट वह इतना बेमानी है कि वो क्यों लिखा है इसका कोई मानी नहीं | इस पर झगडा करने वाला भी उतना ही बेवकूफ है, जितना इस पर हँसने वाला या इसे लिखने वाला |) देव दानव संवाद बहुत जल्दी संवाद टेलीफिल्म्स के संवाद लेखकों की मंत्रणा से ही सुफलित होने लगा | अब ऐसे समय में कभी किसी को कुछ मिल भी जाता था तो गुड ओल्ड टाइम्स की तरह वे झगडा करके मामला निपटान नहीं करते, बल्कि चुपके से लेके फूट लिया करते थे | जब बहुत दिन तक कुछ हाप्पेनिंग नहीं हुआ तो देवराज को भारी चिंता हुई | कोई राक्षस घनघोर तपस्या करके, शिव को प्रसन्न करने के वास्ते, उनका सिंहासन नहीं डुला रहा | एक बात नारद ने भी कभी नोट नहीं की, कि राक्षस कोई हो, वरदान कोई हो, देने वाला कोई हो, देवराज का सिंहासन यकायक मेले में लगी ड्रेगन नाव जैसा आगे पीछे जाने लगता | अरे भाई, जिससे प्रॉब्लम हो उसे हिलाओ, क्या फ़िज़ूल में इधर उधर हाथ मारते हो | खैर, इस सब वजहों से मोनिका, रम्भा आदि आदि जोब्लेस होकर महज छुपनछुपाई खेलने जैसे कामों में सीमित रह गयी थी | अप्सराओं की नयी भर्तियाँ नहीं हो रही थी, जब क...