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दिसंबर, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हीरो की कहानी, परिंदे की जुबानी

"अभी न, मैं तुम्हारे लिए कहानी का टाइटल सोच रही थी " "अच्छा ? क्या सोचा ?" "अभी मैं आ रही थी न, स्टैंड पे... तो वही कुत्ता था वहाँ पे परसों वाला, रो रहा था... उसे देख के मुझे टाइटल सूझी" "कुत्ते को देख के टाइटल ?" मैं हँसने लगा, वो भी हँसने लगी | "अरे सुनो न स्टुपिड! तुम मुझे भुला दोगे नहीं तो |" "ओके बाबा, बोलो |" "हाँ तो टाइटल है, हीरो की कहानी, परिंदे की जुबानी |" "वाह क्या टाइटल है !" मैंने उपहास किया | "अच्छा है न ?" "हाँ , लेकिन कुत्ते से तुम्हें ये टाइटल क्यों सूझा ? कुत्ता तो पूरे टाइटल में कहीं नहीं है |" मैंने अपनी हँसी को किसी तरह रोका हुआ था | "पता नहीं" वो थोड़ा उदास हो गयी, "मैंने बहुत कोशिश किया, लेकिन उसके लिए जगह ही नहीं बनी टाइटल में, मे बी दैट लिल डॉग इंस्पायर्ड मी |" "हाँ, शायद | तुम इसका नाम हीरो की कहानी, कुत्ते की जुबानी भी तो रख सकते थे |" "तुमको मेरा टाइटल पसंद आया न ?" उसने उम्मीद से पूछा | "मैं परिंदों का पसीना रख ल...

'wow! wonderful story'

तु म वो बेनामी हो, जो मेरी कहानियाँ समझ में नहीं आने पे भी कहती हो, 'wow! wonderful story' | तुम सही में नहीं जानती हो कि तुमने मेरी कहानियों का अंत किस हद तक 'wonderful' कर दिया है | मेरे जन्मदिन पर तुमने पहली बार लिखने की कोशिश की, मुझे बर्थडे सरप्राइज़ देने के लिए | वैसे तुमने एक दिन पहले कहा कि हम अब बात नहीं करेंगे | मुझे इतना पता है कि तुम मुझसे कुछ न कुछ कहे बिना नहीं रह सकती, इसलिए मन ही मन हँसते हुए मैंने हाँ कह दी | रोज़, सुबह 8 बजकर 30 मिनट पे तुम्हारा कॉल आता है, और तुम पूरे पंद्रह मिनट परेशान करती हो | आज तुम्हारा कॉल नहीं आया, और तुम मुझे 11 बजे तक परेशान करती रही | सबसे पहले विश करने की ये होड़ तुम्हारी, आखिर किससे थी | मुझे तो वैसे भी कोई उम्मीद नहीं थी कि तुम्हें कोई प्रतिद्वंदी मिलेगा | अपने पूरे परिवार को जगाके मुझे बर्थडे विश करवाना, तुम्हारे पापा जरूर तुम्हारे लक्षण देखके 'हाथ से निकल गयी लड़की' कह रहे होंगे | दूर दूर रहते हैं, कैम में देखते ही, एक दूसरे को देखकर जी भर के हँसते हैं | मेरी पिछली तीन गर्ल फ्रेंड्स के एवज तीन बॉय फ्रेंड्स बता ...